हृदय
विद्रोही है ये चितचोर हृदय,
सुलभ आकांक्षा से पुलक जाता।
उठता, गिरता, रूठता,टूटता,
जाने कैसे फिर भी संभल जाता।।
करता है उन्मुक्त हास मन, मेरी श्रद्धा ही मेरी आस।। बनकर जीवन एक मृदु पवन, दे जाये मधु आभास।।मेरा आस -पुंज प्रज्वलित, बनकर तम का दृढ़ सहारा।। यह तो प्रेरणा जीवन की, है जीवन का मधुर किनारा।।
विद्रोही है ये चितचोर हृदय,
स्वतंत्र रचनाकार,कई पत्र पत्रिकाओं में लेख और कविताएं प्रकाशित। निरंतर रचनात्मक लेखन की राह में समर्पित।।
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